बुधवार, 4 अक्तूबर 2017

नीयत....।।

समय के साथ चलना था
बन के मीत छलना था
ये हम ना कर पाए
उनको दिल दे आये।
उनकी जो भी फ़ितरत हो
उनको ही मुबारक हो
हमें जो करना था 
कर आये।
उम्मीदों से खेल करना
उम्मीदों का रोज मरना
उन्हीं पर छोड़ आये।
कमलेश, ज़िन्दगी वसूलों पर
मंज़ूर चलना शूलों पर
बंदिशें सब तोड़ आये।।
10/17

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