शनिवार, 27 अप्रैल 2013


dilli ki dukhdayee ghatna par.....


 वहशी  दरिन्दे ने हैवानियत की हदें पार कर दी,
 इक  फूल सी मासूम जिंदगी तार- तार कर दी ,

क्या कसूर था ?उस नन्ही सी जान का
दरिंदगी ने जिंदगी ,नागवार कर दी ,

ऐसी काली करतूतों से, भाव ऐसा उपजा है ,
बेटा हो बेटी !! की ,चाहत को शर्मशार कर दी ,

''कमलेश'' रहते इन दरिंदों के ,मन आशंकित रहेगा हमेशा..
क्या महफूज़ है ''लाडली' मेरी ,जो सब कुछ है मेरे घर की..

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