dilli ki dukhdayee ghatna par.....
वहशी दरिन्दे ने हैवानियत की हदें पार कर दी,
इक फूल सी मासूम जिंदगी तार- तार कर दी ,
क्या कसूर था ?उस नन्ही सी जान का
दरिंदगी ने जिंदगी ,नागवार कर दी ,
ऐसी काली करतूतों से, भाव ऐसा उपजा है ,
बेटा हो बेटी !! की ,चाहत को शर्मशार कर दी ,
''कमलेश'' रहते इन दरिंदों के ,मन आशंकित रहेगा हमेशा..
क्या महफूज़ है ''लाडली' मेरी ,जो सब कुछ है मेरे घर की..
वहशी दरिन्दे ने हैवानियत की हदें पार कर दी,
इक फूल सी मासूम जिंदगी तार- तार कर दी ,
क्या कसूर था ?उस नन्ही सी जान का
दरिंदगी ने जिंदगी ,नागवार कर दी ,
ऐसी काली करतूतों से, भाव ऐसा उपजा है ,
बेटा हो बेटी !! की ,चाहत को शर्मशार कर दी ,
''कमलेश'' रहते इन दरिंदों के ,मन आशंकित रहेगा हमेशा..
क्या महफूज़ है ''लाडली' मेरी ,जो सब कुछ है मेरे घर की..
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें