तक तरह के हालत बने हैं अब ,
आकाओं की इस देश की
आँख खुलेगी कब,।
गिद्ध दृष्ट से ताकते ,चीन अन्य और पाक ,
भारत माँ के पल्लू को खीचने की ताक,
कब तक सहेगा आख़िर ,भारत इनकी की करतूतों को ,
वार्ता -शार्ता से न आए अक्ल ,इन लातों के भूतों को ,
सबक सिखाना होगा बनी ,
जो चौकडी -चांडालों की ,
आग लगो दो इनकी दुनिया में ,
बसा जो रखी ख्यालों की।
,नही चलेगी अब ६२ वाली गद्दारी ,
बदले' एक 'के इक्यावन ,मोड़ने की अब बारी,।
ज्यादा धैर्यवान होना ,निर्बलता दर्शाता है ,
कमलेश 'तभी तो हर कोई आँख दिखाता है ॥
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मंगलवार, 15 सितंबर 2009
कब तक सहेगा आख़िर ,भारत
प्रस्तुतकर्ता कमलेश वर्मा 'कमलेश'🌹 पर 5:34 am 0 टिप्पणियाँ
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