कैसे कह दें कि तुमसे मुझे प्यार नही ,
होंठ बोले ''हाँ '' दिल करबैठा इकरार कहीं ''
मुद्द्त्तों से तरसती रही जिनको आँखें ,
पास आकर वो कर दे न इंकार कहीं ।
दिल की उमंगों की लहर तेज थी;
लगने लगा ,हो न जाए मझधार कहीं ।
''कमलेश ''न उठाओ पर्दे अपने ,
देखने लग जाए न दुनिया आर -पार कहीं ॥
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बुधवार, 7 अक्टूबर 2009
कैसे कह दें कि ..!!!
प्रस्तुतकर्ता कमलेश वर्मा 'कमलेश'🌹 पर 9:14 am 4 टिप्पणियाँ
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