कैसे कह दें कि तुमसे मुझे प्यार नही ,
होंठ बोले ''हाँ '' दिल करबैठा इकरार कहीं ''
मुद्द्त्तों से तरसती रही जिनको आँखें ,
पास आकर वो कर दे न इंकार कहीं ।
दिल की उमंगों की लहर तेज थी;
लगने लगा ,हो न जाए मझधार कहीं ।
''कमलेश ''न उठाओ पर्दे अपने ,
देखने लग जाए न दुनिया आर -पार कहीं ॥
बुधवार, 7 अक्टूबर 2009
कैसे कह दें कि ..!!!
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4 टिप्पणियाँ:
दिल की उमंगों की लहर तेज थी;
लगने लगा ,हो न जाए मझधार कहीं ।
Bahut khoob kamalesh ji----apkee rachanaon men behad tajagee aur nayapan hai.
shubhakamanayen.
Poonam
कमलेश जी पर्दे खोलने से ना डरें, कई बार बेबाकी अच्छे नतीजे लाती है ।
सुंदर गज़ल ।
nice.
suman
barabanki
mo.n. 9450195427
'कमलेश ''न उठाओ पर्दे अपने ,
देखने लग जाए न दुनिया आर -पार कहीं ॥
कमलेश जी ये हूरो - परी कहाँ से लाये ....सुभानाल्लाह ......जी चाहता है इस सुंदरी पर कोई बढ़िया सी नज़्म लिख डालूं .....!!
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