चारो ओर यह आतंक का साया ,यह कहाँ से आया है ..?
जमीं पर ये खून के छींटे ,यत्र -तत्र छितराया ...यह कहाँ से आया है ?
हक मांगने के तरीके ओर बहुत हैं ,यह तरीका किसने सिखलाया .है ..?
जैसे जीत कर आया है जंग ..जब की इसने -उसने भाई का ही खून बहाया .है ..!!
मूल में कोई नहीं जाना चाहता है ..इन दोनों को किसने बरगलाया है ..?
समस्या खत्म तो क्या होगी ?कौन जाने ,जब बन गया यही दोनों का सरमाया है ।
मरेंगे बेटे -बाप और पति किसीके ,उठेगा जिनके सर उपर साया है ॥?
''कमलेश'' क्यों नही समझते दोनों तरफ ,अब तक किस ने क्या पाया है ..!!?
मंगलवार, 6 अप्रैल 2010
नक्सल वाद के संदर्भ में -मन की चिंता ..!!
प्रस्तुतकर्ता कमलेश वर्मा 'कमलेश'🌹 पर 8:44 pm
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