ठ उनके चेहरे का...!!!
चेहरे से उनके झूठ का नकाब उतर गया ,
पर वो हसीं ख्वाब पल में बिखर गया ।
उनके लिये शायद ,ये मजाक था ,
मेरी जिंदगी में ,नासूर कर गया ।
कैसे हो जाते हैं ,इनके दिल पत्थर के ,
मै सपने में सोच कर ,इकदम सिहर गया ।
जानिबे मंजिल तो हमारी बहुत दूर थी ,
साथ चलते-चलते जाने वो किधर गया ।
'कमलेश' वादे तो बहुत थे उनके जीने की राह में ,
पर जीते-जीते ही ,वो ख्वाब मर गया ॥
सोमवार, 7 फ़रवरी 2011
प्रस्तुतकर्ता कमलेश वर्मा 'कमलेश'🌹 पर 7:15 am
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