शनिवार, 6 अगस्त 2011

कौन कहता है ! नही गूंजेगी आवाज उन बहरे कानो में ,
बन जाएगी सिंह -गर्जना कौतूहल जो था वीरानो में ,

चर्चा जो है छिड़ी हुई अब गली-गली और कूचों में ,
मन्दिर-मस्जिद के साथ -साथ साँची के स्तूपों में ,

नही थमेगा ना थमने देंगे ,जन-मानस की इच्छा को ,
और कठिन बना देंगे उनके[सत्ता]लिये जन- परीक्षा को ,

अब ना फिर चार जून की परिभाषा दोहराई जाएगी ,
क्योंकि अब ना दिन खत्म होगा ,रात्रि कहाँ से आएगी ?

भ्रष्टाचार के खिलाफ ये जन- निर्णायक रण होगा ,
ये सत्ता की हठधर्मी , और अहंकार के कारण होगा ,

आओ बढो आगे होकर गर कल को आज बचाना है ,
नही तो बैठो आँखें मूँद लो गर कायर कहलाना है ,

'कमलेश'नही ''अन्ना'' के बच्चों के भविष्य को खतरा है ,
वो भारत-वर्ष की खातिर ''आमरण -अनशन ''करने उतरा है॥

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