चलते- चलते यूँ ही ..!!
बुधवार, 9 सितंबर 2009
कमलेश वर्मा
अरे
दोस्तों
देखिये
ये
कैसा
है
सीन
,
देश
की
माटी
पर
लिखा
हुआ
है
चीन
,
अब
भी
गर
बने
रहे
,
हम
माटी
और
मोम
,
नीरो
बजाता
रहा
बांसुरी
,
और
जल
गया
रोम
,
इस
बेहूदी
बात
पर
,
अपनाओ
तगडा
रुख
,
'
'
कमलेश
'
बढती
जा
रही
,
इस
ड्रैगन
की
भूख
॥
1 टिप्पणियाँ:
Urmi
ने कहा…
वाह वाह क्या बात है! बहुत ही शानदार और लाजवाब रचना! लिखते रहिये !
9 सितंबर 2009 को 7:18 pm बजे
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1 टिप्पणियाँ:
वाह वाह क्या बात है! बहुत ही शानदार और लाजवाब रचना! लिखते रहिये !
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