बुधवार, 9 सितंबर 2009

कमलेश वर्मा
अरे दोस्तों देखिये ये कैसा है सीन ,
देश की माटी पर लिखा हुआ है चीन ,


अब भी गर बने रहे ,हम माटी और मोम ,
नीरो बजाता रहा बांसुरी ,और जल गया रोम ,


इस बेहूदी बात पर ,अपनाओ तगडा रुख ,
''कमलेश ' बढती जा रही ,इस ड्रैगन की भूख

1 टिप्पणियाँ:

Urmi ने कहा…

वाह वाह क्या बात है! बहुत ही शानदार और लाजवाब रचना! लिखते रहिये !