शुक्रवार, 30 अप्रैल 2010

इन आँखों का क्या गुनाह था ,..!!

इन आँखों का क्या गुनाह था ,

सिर्फ़ नज़र ही तो मिलाया था ,

कसूर तो उस वक्त का था ,

जिसने दो दिलो को मिलाया था ,

जब मिली दोनों की आँखे तो ,

इस दिल ने भी मोहाब्बत का चिराग जलाया था ,

आँखों ने इशारा ही तो किया था ,

फिर क्यों इस दिल ने हलचल मचाया था ,

आँखों ने देखे सपने तो दिल ने किए वादे ,

जब टूट गई सारी कश्मे वादे ,

तो इसी दिल ने रोना सिखाया था ,

छूप छूप कर रोया करता था ,

ये दिल जब अकेला हुआ करता था ,

पर उस रोने में भी आखिर ,

आंशु तो आँखों ने ही बहाया था .

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