मंगलवार, 27 सितंबर 2011

अप्रवासी होने की अनुभूति ...!!!अपने देश में ,,??

ना भूलती है वह
चुभती शूलों जैसी बातें ,
हम यहाँ पर क्यूँ हैं ?
ये चाहे जहाँ जाएँ !
क्यूँ की ये स्वयम्भू महान हैं ,
मेहनत से कुछ भी बन जाये
कुछ भी यहाँ
लगता है हम भीख मांगते हैं
ये कहीं बस जाएँ
इनका अधिकार योग्यता है ,
खुद की खातिर औरों को
दबा देते हैं उनकी आवाज
ये पंजाब ,महाराष्ट्र में
अप्रवासी मनुष्यों की व्यथा है

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