रविवार, 16 अक्टूबर 2011

एप्रोच है तो क्या ?सुविधा शुल्क तो देना ही पड़ेंगा !!!

आज हर तरफ अन्ना के आन्दोलन की वजह से हम भी अभिभूत हुए बिना नही रहे ,और मन के किसी कोने में ,इस भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़े होने के लिये अपने निजी दोनों पैरों को मन ही आदेश सुना दिया ,की आने वाले समय में हमे कभी इनकी जरूरत पड़ी तो खड़े रहेंऔर अपने को आन्दोलन से जुड़ा हुआ ,महसूस करने से कुछ देहयष्टि में अकड़ाव भी महसूस होने लगा था
लेकिन मेरे इस क्रन्तिकारी भावना की शव - यात्रा इतनी जल्दी निकल जाएगी मेरी कल्पना की पोटली में कहीं पर नही थी, हुआ ये मुझ में एक अप्रवासी [देसी]की टीस क्टोचती रहती है की अगर ,हमारे घर, गाँव ,और प्रदेश के हल ठीक होते, तो हम किसी अन्य प्रदेश की बजाय अपने ही प्रदेश जिसे यहाँ के लोग ''देश''कहते है ,सम्मान के साथ कार्य करताचलो वह सपना अवकाश प्राप्ति के बाद पूराकरने के लिये अपने गृह जनपद में एक मकान बनवा रहा हूँ ,
उसके बिजली के कनेक्शन के लिये सारी ओप्चारिक्तायें पूरी करने के बाद और उसी विभाग के एक वरिष्ठअधिकारी जो की मेरे अनुज के सहपाठी के पिताजी हैंउनकी सिफारिस के बावजूद कनेक्शन के लिये जे.। . को सुविधा शल्क देने के बाद सर्वे के लिये लाइन-मन को भी बनता ,जररूत -शुल्क अदा करने के बाद ,स्टॉक में मीटर ना होने की वजह से अब तक मीटर नही मिला ,हाँ एक सलाह अवस्य मिली की, अगर आप शनिवार को मीटर लगवाना है ..तो 500 रु की पूजा करवा दीजिये , नही तो सोमवार तक शायद लग पाए ...सोचने वाली बात यह है की जो हमने समय ,एप्रोच ,पैसा लगाया ,उसका क्या ?
अब तक घर में लट्टू नही जला ,पता नही मै इनके साथ जावूँ ...या अन्ना जी के साथ ..आप लोग ही फैसला करें क्या ऐसा ही चलता रहेगा ...रिश्वत का दिया जलता रहेगा ....[कनेक्सन के लिये समस्त farmelties पूरी की जाने के बावजूद],पता नही मै मर गया हूँ या अन्ना के आन्दोलन वाला जज्बा कहीं इस सिस्टम के सामने आत्म-हत्या कर रहा है

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