आपने अपने सार्वजनिक जीवन में अक्सर लोगों को जिसके चश्मा लगा हो ,जब मिलेगा तो एक ही बात पूछेगा कितना नम्बर है ?'' "मेरे परिवार में तो किसी के नही था पता नही इतने छोटे बच्चे को कैसे लग गया ,खाने पीने का भी पूरा ध्यान रखते हैं??यह ज्यादा टीवी देखने करके या पढ़ाई करके हो गया होगा ! तो मै आपको बताता हूँ, आपके मन में जो भी कारण आ रहे हैं', वो भी इस समस्या के मूल में हो सकतेहैं , पर मुख्य कारण यह नही हैइसका मुख्य कारण अपनी आँख की ट्रांसपरेंट भाग' जिसे '' ;;- ,''कोर्निया ''के नाम से जानते है ,यह ही आपकी आँख के दृष्ट दोष के लिए जिम्मेदार है ,होता क्या है ? जब इस ''कोर्निया'' का आकार एवम इसकी सतह सामन्य आकार कीअपेक्षा अगर नुकीली हो , तो आपको ' 'माइनस ''यानि 'अवतल' लेंस लगता है ,जब यही सर्फेस सामान्य से समतलहो तो आपको ''पलस ''का मतलब 'उत्तल लेंस 'लगता है ॥ इसमे इक कारण अनुवंसिकता का भी है ' अगर आपके माता -पिता 'दादा दादी 'नाना- नानी 'को यह दृष्ट दोष था, तो आपके या आपके बच्चे को हो सकता है !!और आज की भी फास्ट जीवन सैली का इसमे पूरा योगदान है', इस दोष में ,खाने में हरी सब्जियों की जगह नूडल ,पिज्जा .बर्गर खाते है, आज के बच्चे इस करके भी अब कम उम्र में आँखों की बिमारियों का प्रतिसत बढ़ गया है .इस लिए इस समस्या का निदान काफी समय के लिए तो चश्मा ही है ,बस आप अपने चश्मे की अच्छी तरह देखभाल करो, यह आप की करेगा ,और अगर आप का नम्बर ज्यादा है तो ,आप घबराएँ नही ,जब आपकी या आपके बच्चे की उम्र बीस वर्ष हो जाए और आपके लगे हुए चश्मे का नम्बर करीब एक साल तक एक जैसा यानि ''constant'' रहे तो आप के लिए हाज़िर है ;; ' . लेसिक लेजर ''अपने चश्मे से मुक्ति का सबसे अच्छा साधन है । विशेष करके लड़कियों के लिए साथ ही एक नेक सलाह और! अगर आप अपने बेटा-बेटी की शादी करने जा रहे हो तो ,मेरी सलाह है की लड़का-लड़की और कुंडली देखने के साथ इस बात की तस्सली जरूर कर ले, की दोनों का एक जैसा चश्मे का नम्बर न हो !मतलब मेरा ' माइनस' नम्बर से है, नही तो .आने वाली जेनरेशन '' ,, माइनस-माइनस='' पलस-'' हो जायेगी ,,यानि'' high myopic ''सो इस बात ध्यान रखे और सुखी रहे ,और चश्मे को मुसीबत न समझे ,. .. जय भारत
सोमवार, 28 नवंबर 2011
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